गाजीपुर का नरवर गांव कराह उठा: मंडप की बांस ने लीं 4 जानें, 3 ज़िंदगी के लिए जूझ रहे

गाजीपुर, उत्तर प्रदेश। जिस सुबह नरवर गांव के लोग उत्सव और भक्ति में डूबने वाले थे, उसी सुबह गांव पर ऐसा कहर टूटा कि पूरा इलाका मातम में डूब गया। गाजीपुर जिले के मरदह थाना क्षेत्र स्थित नरवर गांव में बुधवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे ने चार परिवारों से उनके लाल छीन लिए। गांव के पूज्य स्थल कशीदास बाबा की पूजा की तैयारी के दौरान मंडप लगाते समय एक बांस ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन से छू गया, जिससे वहां मौजूद सात लोग करंट की चपेट में आ गए।

सुबह के करीब 7:30 बजे यह हादसा हुआ। बिजली के तेज झटके से चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। मृतकों की पहचान छोटेलाल यादव (35), रविंद्र यादव उर्फ कल्लू (29), गोरख यादव (23), और अमन यादव (19) के रूप में हुई है। चारों युवक गांव के ही निवासी थे और कार्यक्रम की तैयारी में जुटे हुए थे।

हादसे के बाद गांव में कोहराम मच गया। पूजन स्थल पर जहाँ भजन-कीर्तन की गूंज होनी थी, वहाँ अब सिर्फ सिसकियों और चीत्कारों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। स्थानीय लोगों ने घायलों को तत्क्षण मऊ के फातिमा अस्पताल पहुंचाया। गंभीर रूप से झुलसे अभिरिक यादव (16), संतोष यादव (32) और जितेंद्र यादव (30) का इलाज फिलहाल जारी है और डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।

घटनास्थल पर भगदड़ और अफरा-तफरी

घटना के समय मौजूद लोगों के अनुसार, जैसे ही बांस हाई वोल्टेज लाइन से टकराया, एक तेज चमक के साथ जोरदार धमाका हुआ। फिर कुछ ही पलों में चार लोग जमीन पर गिरे पड़े थे—बिलकुल निश्चल। अफरा-तफरी मच गई। लोग चिल्लाते हुए भागने लगे। किसी को कुछ समझ में नहीं आया। कुछ लोग घायलों को बचाने दौड़े, तो कुछ बेहोश होकर वहीं गिर पड़े। गांव में ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा गया था।

पुलिस व प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना की जानकारी मिलते ही मरदह पुलिस मौके पर पहुंची। गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. ईरज राजा ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा, “यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और दुर्घटना की विस्तृत जांच की जा रही है।” प्रशासन ने मामले में विद्युत विभाग से भी रिपोर्ट मांगी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि हाईटेंशन लाइन इस तरह खुले में क्यों थी और क्या पहले कोई चेतावनी दी गई थी।

लापरवाही या अनजाने में हुई गलती?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह लाइन लंबे समय से गांव के ऊपर से गुजर रही है और कई बार बिजली विभाग को इसे लेकर सूचित भी किया गया था। ग्रामीणों ने मांग की है कि बिजली विभाग के जिम्मेदार अफसरों पर सख्त कार्रवाई की जाए और इस प्रकार की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

हर घर में मातम, हर आंख में आंसू

गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा है। जिन चार घरों में अभी कल तक शादी-ब्याह और त्योहारों की बातें हो रही थीं, आज वहां सिर्फ आंसू और पछतावे हैं। चार अर्थियां एक साथ उठेंगी, यह दृश्य कल्पना से भी परे है। बूढ़ी मांओं की सूनी आंखें, बच्चों के आंसू, और पत्नियों की चीत्कारें—इन सबने गांव को श्मशान बना दिया है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि मृतकों के परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए, घायलों के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाए और गांव की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए। बिजली के तारों को भूमिगत किए जाने की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई।

यह आयोजन हर साल गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कशीदास बाबा की पूजा के बहाने सारा गांव एकजुट होता है, लेकिन इस बार वही आयोजन चार जिंदगियां लील गया। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि विकास के नाम पर हो रही लापरवाही, कितनी जानें ले सकती है।

नरवर गांव की यह त्रासदी केवल चार परिवारों का नहीं, पूरे समाज का दुख है। यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक हम ऐसी घटनाओं के बाद ही जागेंगे? बिजली जैसे बुनियादी संसाधन को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही, जानलेवा बनती जा रही है। अब वक्त आ गया है कि हम सजग बनें और सुरक्षा के प्रति गंभीरता दिखाएं—वरना कल यह किसी और गांव की कहानी बन सकती है।