देश के असली हीरो का गाजीपुर में हुआ भव्य स्वागत: 'भारत माता की जय' और 'वन्दे मातरम्' के नारों से गूंजा स्टेशन

गाजीपुर। देश की रक्षा में समर्पित हमारे जांबाज़ सैनिकों को सम्मान देना हर भारतीय का कर्तव्य है। इसी भावना को साकार करते हुए शनिवार को गाजीपुर रेलवे स्टेशन एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब पूर्वोत्तर भारत के गोहाटी की ओर प्रस्थान कर रहे भारतीय सेना के जवानों का भव्य स्वागत किया गया। रेलवे स्टेशन "भारत माता की जय" और "वन्दे मातरम्" जैसे देशभक्ति नारों से गूंज उठा, और देशप्रेम की भावना हर हृदय में उमड़ पड़ी।

यादव महासभा, प्रधान संगठन और मानव उदय फाउंडेशन की संयुक्त पहल

इस स्वागत समारोह का आयोजन अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा और प्रधान संगठन के सहयोग से किया गया, जिसका नेतृत्व कार्यकारी जिलाध्यक्ष रामज्ञान सिंह यादव ने किया। इस मौके पर यादव महासभा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव, प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष नागेन्द्र यादव उर्फ जोगी और 'मानव उदय फाउंडेशन' के संस्थापक उपेन्द्र यादव सहित कई अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। 

कार्यक्रम का उद्देश्य केवल एक औपचारिक स्वागत नहीं था, बल्कि यह उन सैनिकों के प्रति आभार और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक था, जो सीमाओं पर तैनात होकर हमारे देश की रक्षा करते हैं। उनके इस अतुलनीय योगदान को नमन करते हुए आयोजनकर्ताओं ने फूल मालाओं, बुके और लंच पैकेट्स के माध्यम से उनका सम्मान किया।

सैनिकों ने किया आभार व्यक्त

इस अवसर पर उपस्थित सैनिकों ने कहा, "गाजीपुर जैसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी में इस प्रकार का सम्मान पाकर हम गर्व महसूस कर रहे हैं। यह स्वागत सिर्फ हमारा नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सैन्य बल का सम्मान है।" 

सैनिकों ने, यादव महासभा, प्रधान संगठन और मानव उदय फाउंडेशन के समस्त सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया और आश्वस्त किया कि सेना सदैव देश की सेवा और सुरक्षा में तत्पर रहेगी।

सम्मान और देशभक्ति का मिला अद्भुत संगम

स्टेशन पर जयघोष और नारों से वातावरण ओतप्रोत हो गया। सभी के मन में गर्व और उत्साह की लहर दिख रही थी। स्टेशन पर खड़े हर व्यक्ति की आंखों में सैनिकों के प्रति सम्मान झलक रहा था।

इस अवसर पर यादव महासभा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ने कहा, "हमारे देश के वीर सैनिकों की वजह से हम सब अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं। इनका स्वागत करना केवल हमारा कर्तव्य नहीं, बल्कि सौभाग्य भी है।"

कार्यकारी जिलाध्यक्ष रामज्ञान सिंह यादव ने भी कहा, "जिस प्रकार सैनिक अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की सेवा में तैनात रहते हैं, यह स्वागत उनके बलिदान और समर्पण के प्रति हमारी कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है।"

मानव उदय फाउंडेशन के संस्थापक उपेन्द्र यादव ने कहा कि "गाजीपुर वीरो की धरती है, और इस पवन भूमि पर सैनिकों का सम्मान करना हम सभी के लिए गर्व की बात है। ऐसे अवसर पर समाज में देशप्रेम की भावना प्रबल होती हैं।"

समारोह में अनेक जनप्रतिनिधियों की भागीदारी

इस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनने और सम्मान देने हेतु अनेक सम्मानित जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे: महेश यादव, शिवपूजन यादव 'पांचू', रणजीत यादव, जनार्दन यादव, हवलदार लालजी यादव, फौजी सुरेन्द्र यादव, अभय यादव, उमा यादव, मुलायम यादव, दीपक यादव, नीरज यादव, गुड्डू सिंह यादव, राहुल कुमार, रमेश पटेल और धीरेंद्र कुमार ‘धीरू’ सभी ने एक स्वर में सैनिकों के साहस को नमन किया और कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से युवाओं में भी देशसेवा की प्रेरणा जागृत होती है।

लंच पैकेट व सम्मान सामग्री भेंट की गई

सभी जवानों को पुष्पमालाएं, बुके के साथ-साथ लंच पैकेट भी भेंट किए गए, ताकि वे अपने आगामी सफर में स्फूर्ति और उत्साह से भरपूर रहें। आयोजकों द्वारा बताया गया कि सैनिकों की प्राथमिकताओं का ध्यान रखते हुए पौष्टिक एवं स्वच्छ भोजन की व्यवस्था की गई थी।

समाज में देशभक्ति की भावना को बल

गाजीपुर जैसे छोटे शहर में इतने बड़े स्तर पर सैनिकों का सम्मान यह दर्शाता है कि देश के हर कोने में भारतीय सेना के प्रति अपार श्रद्धा और गर्व है। यह आयोजन एक मिसाल है कि यदि समाज एकजुट हो जाए तो किसी भी योद्धा का मनोबल दुगना किया जा सकता है।

समाजसेवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत

इस अवसर पर कई समाजसेवी भी उपस्थित रहे, जो सैनिकों के साहस और समर्पण से प्रेरणा लेकर देशसेवा की दिशा में कार्य करने का संकल्प लिया। इस सम्मान ने यह सिद्ध कर दिया कि केवल बंदूक उठाने वाले ही योद्धा नहीं होते, बल्कि उनका मनोबल बढ़ाने वाले नागरिक भी देश के सच्चे रक्षक होते हैं।

गाजीपुर रेलवे स्टेशन पर हुआ यह स्वागत समारोह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज की उस जड़ से जुड़ी भावना का प्रतिबिंब था, जो अपने रक्षकों के लिए आदर, प्रेम और सम्मान से परिपूर्ण है। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि देश के असली हीरो न तो परदे पर दिखने वाले अभिनेता हैं, न ही भाषण देने वाले नेता, बल्कि वे सैनिक हैं जो चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए देश की सीमाओं पर तैनात हैं।