प्राप्त जानकारी के अनुसार, उमेश कुशवाहा द्वारा अपनी 41 एयर भूमि की पैमाईश हेतु विधिवत आवेदन किया गया था, और 8 मई को तिथि भी निर्धारित थी। परंतु नापी से एक दिन पूर्व, महेंद्र यादव नामक व्यक्ति ने फोन पर जानकारी दी कि कोर्ट से पैमाईश पर रोक लगी है। जबकि पीड़ित का दावा है कि न तो कोर्ट से कोई स्थगन आदेश प्राप्त हुआ है और न ही प्रशासन की ओर से कोई सूचना दी गई थी।
नक्शा छोटा, फील्ड बुक में गड़बड़ी का आरोप
पीड़ित का यह भी आरोप है कि पहले ही फील्ड बुक में उनकी भूमि को गलत तरीके से 41 एयर से घटाकर 37 एयर दर्शाया गया है। उनका कहना है कि यादव वर्ग के लोगों द्वारा उनकी भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है और पैमाईश रोकने का प्रयास इसी साजिश का हिस्सा है।
उपजिलाधिकारी से की शिकायत
उमेश कुशवाहा ने उपजिलाधिकारी गाज़ीपुर से मिलकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी और कहा कि आपत्ति करने वाले व्यक्ति का उस भूमि से कोई वास्ता नहीं है। पीड़ित का यह भी कहना है कि उनका परिवार सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर है, और यही कारण है कि उन्हें दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रशासनिक चुप्पी सवालों के घेरे में
जब पत्रकार राजकुमार मौर्य ने इस संबंध में कानूनगो अमरनाथ राम से सवाल किया कि किस अधिकार से महेंद्र यादव ने फोन कर पैमाईश रुकवाई, तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि वह भी चाहते हैं कि पीड़ित की समस्या का समाधान शीघ्र हो।
बिना लिखित स्थगन आदेश के पक्की पैमाईश रोकना न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि इससे पीड़ित की न्याय प्राप्ति की राह भी बाधित होती है। अब देखना यह है कि उपजिलाधिकारी इस मामले में कितनी शीघ्र और निष्पक्ष कार्रवाई करते हैं।