सरफरोशाने वतन को याद करने के लिए!

इक ग़ज़ल की शाम इनके नाम होनी चाहिए!


ग़ाज़ीपुर:- उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी लखनऊ व मानव गौ सेवा संस्थान प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय एम एच इंटर कालेज में विशाल कवि सम्मेलन व मुशायरा में जहां कवियों ने बिखेरे हिन्दुस्तानी यकजहती के रंग तो वहीं संस्था की ओर से इक्कीस होनहार छात्र छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के प्रोत्साहन के साथ उपहार भेंट कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में एस पी सिटी ग़ाज़ीपुर डॉ राकेश कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।तो मुशायरे की अध्यक्षता हाजी मोहम्मद वारिस हसन खां एडवोकेट ग़ाज़ीपुर की रही तो संचालन समर ग़ाज़ीपुरी ने किया। विशिष्ट अतिथि के रुप में बादशाह राही ग़ाज़ीपुरी ,एम ए अंसारी एडवोकेट ,अंसार पैकर मऊ ,मोअर्रिख सुहेल खां रेवतीपुर ग़ाज़ीपुर को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।शायर व कविगणों में हंटर ग़ाज़ीपुरी ,खालिद ग़ाज़ीपुरी ,नज़र ग़ाज़ीपुरी ,महताब माहिर ग़ाज़ीपुरी ,अख्तर कुरैशी ग़ाज़ीपुरी ,नाज़िम बनारसी , श्रीमती फरहा नाज़ , महमूद फूलपुरी ,शादाब बनारसी ,अशरफ लखनवी , तनवीर कानपुरी ,शहज़ाद देहलवी ने अपने कविताओं और शेयरो शायरी से जहां वक्ताओं को गुदगुदाया व हंसाया तो वहीं देश भक्ति की रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।आयोजक शफक़त अब्बास पाशा ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ शॉल व मोमेन्टो देकर सम्मानित किया तो सह आयोजक खालिद अमीर प्रधानाचार्य एम ए एच इंटर कालेज व शौकत अली सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।



कुछ ऐसी पहचान बना या अल्लाह

फिक्र मेरी चट्टान बना या अल्लाह

हर मज़हब में बात हो बस यकजहती की

ऐसा हिन्दुस्तान बना दे या अल्लाह

                                     बादशाह राही



मुहब्बत रुख़ बदलती जा रही है

मुसर्रत ग़म में ढलती जा रही है

          अख़्तर कुरैशी गाज़ीपुर



है भाई में झगड़ा बहन बहन में तनाव

कहाँ गई वो मुहब्बत अजब ज़माना है

                   महताब माहिर गाज़ीपुर


दुआ मिस्कीन की लेने सिकन्दर चल के आता है

मैं क़तरा हूँ मगर मिलने समुन्दर चल के आता है

                                        अन्सार पैकर मऊ


जिसमे छपी है मेरी तबाही की दास्ताँ

देखा कि हाथों हाथ वो अख़बार बिक गए

                                ख़ालिद ग़ाज़ीपुरी


ज़ामाने भर को शायद खल रहा है

चरागे इश्क़ मेरा जल रहा है

                          हंटर ग़ाज़ीपुरी


ज़हनों से तअस्सुब को ऐसे मसल डालो