मरदह/ गाज़ीपुर। जनपद के मरदह विकासखंड में जन्म प्रमाण पत्रों के निर्गमन में बरती जा रही लापरवाही को लेकर सामाजिक क्षेत्र में रोष व्याप्त है। खंड विकास कार्यालय मरदह के अधीन कार्यरत एडीओ पंचायत प्रभाकर पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने प्रमाण पत्रों से जुड़ी फाइलों के संचालन में गंभीर अनियमितता बरती, जिससे दर्जनों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
इस गंभीर विषय को उजागर करते हुए समाजसेवी राजकुमार मौर्य ने बीडीओ मरदह को ज्ञापन सौंपते हुए मामले की जांच व दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि 12 अगस्त को जब वे बच्चों के प्रमाण पत्रों की स्थिति जानने के लिए एडीओ पंचायत से मिले, तो उन्हें बताया गया कि सारी फाइलें एसडीएम कार्यालय भेजी जा चुकी हैं। परंतु जब उन्होंने स्वयं एसडीएम कार्यालय जाकर इसकी पुष्टि की, तो वहां ऐसी कोई भी फाइल लंबित नहीं पाई गई।
राजकुमार मौर्य ने कहा, “यह न केवल एक प्रशासनिक चूक है, बल्कि यह बच्चों के शैक्षणिक व मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। बच्चों को स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती है, और इसमें देरी उनके संपूर्ण विकास को बाधित कर रही है।”
उन्होंने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में बच्चों व अभिभावकों को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
इस मुद्दे पर जब खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) मरदह से बात की गई तो उन्होंने स्थिति को स्वीकारते हुए कहा, “फिलहाल लगभग 200 से अधिक फाइलें लंबित हैं, जिन्हें शीघ्र ही निस्तारित किया जाएगा। बच्चों से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता पर समाधान किया जाएगा।”
यह प्रकरण न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की दुर्बलता को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़े करता है कि जब बच्चों जैसे संवेदनशील वर्ग से जुड़ी प्रक्रियाओं में इस प्रकार की लापरवाही होती है, तो जिम्मेदारी किसकी है?
अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन इस मामले में तत्परता से कदम उठाकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है, या फिर यह मामला भी फाइलों की धूल में गुम हो जाएगा।