(विशेष रिपोर्ट:उपेंद्र यादव)

वाराणसी (वि.न्यूज/वी एन . एफ. ए.)। आल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि देश में जातिगत जनगणना की शुरुआत 1 मार्च, 2027 से होगी. जाति जनगणना का सीधा सा मतलब है, देश में रहने वाले अलग-अलग जाति के लोगों की गिनती होगी. इससे यह तस्वीर साफ हो पाएगी कि देश में किस जाति के कितने लोग मौजूद हैं.. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में जातिगत आधार पर आज भी भेदभाव और उत्पीड़न किया जाता है इसलिए नए आंकड़ों से वंचित समूहों को सरकार की तरफ से मदद मिल पाएगी और भेदभाव को दूर करने की कोशिश की जा सकेगी, जिससे उनकी पर्याप्त मदद होगी। 

  उन्होंनेदेश कहा कि देश में पूर्ण जातिगत जनगणना 1931 में कराई गई थी, अब यह 1 मार्च, 2027 में कराई जाएगी। 

जनगणना में सरकारी कर्मचारी (एन्यूमेरेटर) जाति से जुड़ा सवाल भी पूछेंगे. 30 अप्रैल को कैबिनेट बैठक में मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया था, जाति जनगणना का सीधा सा मतलब है, देश में रहने वाले अलग-अलग जाति के लोगों की गिनती होगी.जाति जनगणना से स्पष्ट आंकड़े सामने आ पाएंगे. देश में आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी. नियम के मुताबिक, इसे 2021 में किया जाना था, लेकिन कोविड के कारण ऐसा नहीं हो पाया.

देश में जातिगत जनगणना की शुरुआत अंग्रेजों के दौर में ही शुरू हो गई थी. आखिरी बार पूर्ण जाति जनगणना 1931 में कराई गई थी. तभी तय हो गया था कि इसे हर 10 साल में कराया जाएगा. इसलिए अगली जनगणना साल 1941 में हुई. हालांकि इसके आंकड़े सामने नहीं रखे गए. इसके पीछे तर्क दिया गया कि जाति आधारित टेबल ही नहीं तैयार हो पाई थी.

  उन्होंने कहा आजाद भारत की पहली जनगणना साल 1951 में हुई. हालांकि, इसमें पिछड़ा वर्ग को शामिल नहीं किया गया था. इसके बाद साल 1961 से 2001 तक हुई जनगणना में जातियों को नहीं शामिल किया गया. साल 2011 में जातियों का सामाजिक-आर्थिक आंकड़े को इकट्ठा किया गया, लेकिन आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया।जातिगत जनगणना को लेकर तर्क दिया जा रहा है कि इसके जरिए पिछड़े और अति-पिछड़ों के बारे में कई जानकारियां मिल सकेंगी. उनकी शैक्षणिक ,सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में स्पष्ट तस्वीर देखने को मिलेगी.

  उन्होंने कहा जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद सरकार अलग-अलग जाति वर्गों के लिए बेहतर पॉलिसी तैयार कर पाएगी.इससे ओबीसी को और भी ज्यादा आरक्षण मिलेगा. जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद भारत में बहुत कुछ बदल जाएगा, इससे सबसे बड़ा जो बदलाव हो सकता है वह है आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाया जाना अभी सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर 50 फीसदी का कैप लगा रखा है, इसकी वजह से आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है़़

क्या-क्या सवाल पूछे जाएंंगे?

पिछली जनगणना के रिकॉर्ड को देखेंगे तो पाएंगे कि हर बार सवालों की संख्या में इजाफा हुआ है. 2001 के मुकाबले 2011 में हुई जनगणना में कई अतिरिक्त सवाल पूछे गए थे. जैसे- आपका घर आपके ऑफिस से कितनी दूरी पर है. 2001 की जनगणना में नाम, जिला और राज्यों से जुड़े बेसिक सवाल पूछे गए थे. वहीं, 2011 में शख्स के गांव का नाम भी शामिल किया गया था. अब सवालों में शख्स का नाम, जेंडर, माता-पिता का नाम, जन्म की तारीख, वैवाहिक स्थिति, वर्तमान और अस्थायी पता, परिवार के मुखिया का नाम, उससे सम्बंध भी पूछा जाएगा. ऐसे 30 सवाल पूछे जाएंगे।