सांस्कृतिक परंपराओं का पूर्ण पालन करें युवा पीढ़ी - साध्वी लक्ष्मीमणि शास्त्री
सैदपुर (गाजीपुर): सैदपुर ब्लाक के गैबीपुर स्थित गौतम स्पोर्ट्स एकेडमी में सुश्री लक्ष्मीमणि शास्त्री ने नव निर्मित स्पोर्ट्स होस्टल का लोकार्पण किया। हिंगलाज सेना की राष्ट्रीय अध्यक्षा और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की अनन्य शिष्या लक्ष्मीमणि जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जीवन पद्धति, कला कौशल, ज्ञान विज्ञान, हमारे सामाजिक जीवन, व्यापार संगठनों, उत्सव, पर्व, त्यौहार आदि के स्वरूप से हमारी संस्कृति का बोध होता था। आज संस्कृति का अर्थ खुदाई में प्राप्त प्राचीन खण्डहरों के स्मृति चिन्ह, नृत्य संगीत के कार्यक्रम या कुछ प्राचीन तथ्यों के पढ़ने लिख लेने तक ही संस्कृति की सीमा समझ ली जाती है। भारतीय संस्कृति तो एक निरन्तर विकासशील जीवनपद्धति रही है। उसे इन संकीर्णताओं में नहीं बांधा जा सकता। लक्ष्मीमणि शास्त्री ने हनुमानजी के चित्र पर माल्यार्पण कर गौतम एकेडमी के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की प्रसंशा करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति के देवगण भी क्रीड़ा करने धरती पर अवतरित होते रहे है। खेल से बच्चों में मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक विकास होता है। आजकल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य संगीत कला, आमोद प्रमोद भी हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं लेकिन इन्हें ही सांस्कृतिक आदर्श मानकर चलना संस्कृति के बारे में अज्ञान प्रकट करना ही है। हमारी संस्कृति केवल नाच-गाने तक ही सीमित नहीं है। जीवन के गम्भीर दर्शन से मनुष्य को महा मानव बनने का विधान भी है। हमारे यहां का ऋषि कला का साधक भी होता था तो जीवन और जगत के सूक्ष्मतम रहस्यों का उद्गाता दृष्टा भी है। बहुत कुछ अर्थों में संस्कृति, इतिहास की तरह पढ़ने लिखने की वस्तु मान ली गई। हमारे दैनिक जीवन में सांस्कृतिक मूल्य नष्ट होते जा रहे हैं। संस्कृति के सम्बन्ध में खोज करने वाले स्वयं सांस्कृतिक जीवन नहीं बिताते है। भारतीय संस्कृति के लिए एक सबसे बड़ा खतरा है पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार अभियान है। अंग्रेज शासन काल में उन्होंने सभी प्रकार से गलत संस्कृति के प्रसार की नींव मजबूत कर ली। ईसाई मिशनरियों के द्वारा संस्कृति के इस प्रचार अभियान के कारण प्रतिवर्ष लाखों भारतीय ईसाई बन रहे हैं। स्वदेशी रहन सहन, भाषा, भाव, विचारों का परित्याग करके वे अपने सांस्कृतिक गौरव को भुला रहे हैं। उधर विदेशी लोग अपनी संस्कृति के प्रसार के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रहे हैं। सनातन की दिव्यता का अहसास कराता महाकुंभ देश के सांस्कृतिक पुनरोत्थान और जागरण का प्रतीक बन चुका है। बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी यह बताती है कि अब सनातन की आभा से पूरा विश्व आलोकित हो रहा है। जब संत स्वयं सेवा बस्तियों में जायेंगे सत्संग करेंगे तो मतांतरण जरूर बंद हो जायेगा। हम समाज में धर्म संस्कृति के विषय मे भ्रम व विष को निकालने का काम करें और मिलजुलकर भेदभाव मिटाने का प्रयास करना है। स्पोर्ट्स एकेडमी के निदेशक अमित सिंह ने अंगवस्त्र से अलंकृत किया। प्रिया सिंह, सरिता यादव, ममता देवी, अलका मोर्या, पूनम यादव ने लक्ष्मीमणि जी की आरती उतारकर उनका स्वागत किया। डॉ राघवेंद्र पाठक, शिवम दुबे, विन्देश्वरी सिंह, धर्मेंद्र मिश्रा, शुभम मोदनवाल रहे।