जलालाबाद। सौहार्द एवं बंधुत्व मंच के तत्वावधान में “अनेकता में एकता” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें संविधान की आत्मा उद्देशिका पर विस्तृत चर्चा की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना इकरामुद्दीन साहब ने की। मुख्य अतिथि काजी फरीद आलम ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की उद्देशिका में “हम भारत के लोग” शब्द का अर्थ है कि इस देश में रहने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म, पंथ, जाति या लिंग से संबंधित हो, इस राष्ट्र का अभिन्न हिस्सा है। इसमें वे लोग भी सम्मिलित हैं जो पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं और वे भी जो भविष्य में नागरिक बनेंगे।

इस अवसर पर नजमुस साकिब अब्बासी ने कहा कि समाज में सक्रिय साथियों की जिम्मेदारी है कि वे संविधान की मूल बातों को जन-जन तक पहुंचाएं। जब आम लोग संविधान को जानेंगे तभी अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर उन्हें मांग पाएंगे।

संगठन के संचालक हिमांशु मौर्य ने कहा कि संविधान की उद्देशिका केवल कागज़ पर लिखे शब्द नहीं, बल्कि हमारे जीवन की दिशा और देश की आत्मा है। इसमें लिखे हर शब्द का गहरा संदेश है। यदि समानता की बात करें तो क्या हमारी बेटियों को शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने में बराबरी का अवसर मिलता है? अगर नहीं, तो हमें मिलकर उस कमी को दूर करना होगा। उन्होंने आगे कहा—“जब तक समाज का हर वर्ग जागरूक नहीं होगा, तब तक लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। संविधान हमें केवल अधिकार ही नहीं, कर्तव्य निभाने की भी प्रेरणा देता है।”

कार्यक्रम का संचालन मंच के साथी जावेद आलम ने किया। वहीं प्रमोद वर्मा, विश्वजीत कुमार, गुलशन कुमार सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए और सभी ने संविधान की मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।