गाजीपुर। गाजीपुर जिले के छावनी लाइन अंतर्गत राजस्व सरैया इलाके में घरौनी दस्तावेज़ों को लेकर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 80 से 90 प्रतिशत घरौनी दस्तावेज़ों में नाम, पिता का नाम, खाता संख्या या अन्य विवरण गलत दर्ज कर दिए गए हैं, जिससे ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं, बैंकों तथा अन्य दस्तावेज़ीय कार्यों में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

इस गंभीर समस्या को लेकर क्षेत्रीय ग्रामीणों ने मानव उदय फाउंडेशन के सहयोग से सदर तहसीलदार से मिलकर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। ग्रामीणों ने अपनी बात को पूरी गंभीरता और शांति के साथ तहसील कार्यालय में प्रस्तुत किया। जानकारी के मुताबिक, घरौनी में दर्ज नाम या विवरण की यह त्रुटि हाल ही में हुए डिजिटल सर्वेक्षण के दौरान हुई है, जिसमें संबंधित राजस्व कर्मियों द्वारा या तो लापरवाही बरती गई या ग्रामीणों की सही जानकारी लिए बिना दस्तावेज तैयार कर दिए गए।

तहसीलदार ने लिया तत्काल संज्ञान

जब ग्रामीणों ने यह मामला सदर तहसीलदार के समक्ष उठाया, तो उन्होंने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझते हुए स्थानीय लेखपाल अवधेश बिंद को टेलीफोनिक निर्देश दिए कि वे तत्काल समस्या का समाधान करें।

निर्देश मिलते ही लेखपाल मौके पर तहसील परिसर में पहुँचे और ग्रामीणों की बात सुनी। उन्होंने ग्रामीणों से उनके घरौनी संबंधी दर्जनों प्रार्थना पत्र लिए और आश्वासन दिया कि एक-एक गलती की जाँच कर जल्द सुधार किया जाएगा।

मानव उदय फाउंडेशन ने उठाई आवाज

इस पूरी प्रक्रिया में मानव उदय फाउंडेशन, जोकि एक सामाजिक संगठन है, ने ग्रामीणों के साथ सक्रिय भागीदारी की। फाउंडेशन के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने बताया कि,"जब इतने बड़े पैमाने पर दस्तावेजों में त्रुटियाँ हों, तो यह मात्र तकनीकी गलती नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही को दर्शाता है। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो हम सभी जिलाधिकारी से मिलकर इसका समाधान माँगेंगे।"

संगठन के अन्य सदस्यों ने भी चेताया कि अगर लोगों की जमीन, नाम और पहचान से जुड़ी जानकारी में गड़बड़ी बनी रही तो इसका असर ना सिर्फ वर्तमान योजनाओं पर पड़ेगा, बल्कि भविष्य में कानूनी समस्याएँ भी खड़ी हो सकती हैं।

ग्रामीणों में आक्रोश, लेकिन भरोसा कायम

ग्रामीणों ने अपनी स्थिति साझा करते हुए बताया कि कई लोगों को बैंक ऋण, पीएम आवास योजना, आय प्रमाण पत्र, और फसल बीमा जैसी योजनाओं में दिक्कतें आ सकती हैं, क्योंकि उनके घरौनी दस्तावेज में खामियां बहुत है। कुछ लोगों के नामों में अशुद्धि है, तो कहीं पिता का नाम तक गलत लिखा गया है।

हालांकि लेखपाल द्वारा मौके पर आकर आवेदन लेना और त्वरित प्रतिक्रिया देना, ग्रामीणों के लिए कुछ हद तक राहत का संकेत बना है।

यदि समाधान नहीं हुआ तो डीएम से होगी शिकायत

सुरेश कुशवाहा जो कि छात्र नेता भी हैं, ने इस मामले पर कहा, "हम किसी तरह की टकराव की स्थिति नहीं चाहते, लेकिन अगर समय रहते सही कार्यवाही नहीं हुई, तो हम डीएम कार्यालय का रुख करेंगे।"

उपस्थित ग्रामीणों में सुरेश नेता, सुनील कन्नौजिया, राकेश यादव, सुनील यादव, सुनील कुशवाहा सहित कई लोगों ने स्पष्ट रूप से प्रशासन को चेताया कि अब इस लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 जिम्मेदारी तय होनी चाहिए

घरौनी जैसे दस्तावेज़ आम जन के अधिकार और पहचान से जुड़े होते हैं। जब इतनी बड़ी संख्या में गलतियाँ सामने आती हैं, तो प्रशासनिक जवाबदेही तय करना आवश्यक हो जाता है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा त्वरित संज्ञान सराहनीय है, लेकिन इस प्रक्रिया की सुनिश्चित निगरानी और अंतिम समाधान ही ग्रामीणों के भरोसे को बहाल करेगा।

मीडिया आपसे वादा करता है कि हम इस मुद्दे पर लगातार नज़र बनाए रखेंगे और प्रशासन की हर कार्रवाई से आपको अवगत कराते रहेंगे।