वृन्दावन की धरती पर बसा भावनाओं का कुंभ : पिता-पुत्र की युगल जोड़ी का ऐतिहासिक सम्मान

वृन्दावन/संत कबीर नगर।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि वृन्दावन एक अविस्मरणीय क्षण की साक्षी बनी, जब एक साथ पिता-पुत्र की युगल जोड़ी को एक ही मंच पर सम्मानित किया गया। अवसर था — कविवर विमल जी की पुण्य स्मृति में आयोजित “दिव्यालय दिव्य कुंभ” का, जो न केवल एक साहित्यिक यात्रा थी, बल्कि संवेदनाओं और सद्गुणों का महापर्व बन गया।

मेंहदावल विधानसभा के ग्राम करमैनी निवासी वरिष्ठ पत्रकार/सम्पादक डॉ. पी. एन. पांडेय और उनके सुपुत्र, श्रीमद्भागवत कथा वाचक आचार्य आलोक कृष्ण शास्त्री को जिस तरह एक साथ, एक मंच, एक आशीर्वाद के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ, वह दृश्य भावना और गौरव के नए अध्याय की रचना कर गया।

इस विशिष्ट आयोजन की शोभा बढ़ाने हेतु अनेक सम्माननीय अतिथिगण उपस्थित रहे।

दिव्यालय की संस्थापिका सुश्री व्यंजना आनंद, कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री महेश जैन ‘ज्योति’, और इस आयोजन की मुख्य अतिथि, विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास — श्रीमती श्वेतिमा माधव प्रिया की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी गरिमामय बना दिया।

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. शिवप्रकाश ‘साहित्य’ द्वारा किया गया, वहीं मंच पर मंजरी निधि गुल, सुशीला फरमानिया सहित अन्य साहित्य, कला और अध्यात्म जगत की प्रतिष्ठित विभूतियाँ भी उपस्थित रहीं।

दिव्य सम्मान प्रदान करते हुए संत शिरोमणि डॉ. सौरभ पांडेय जी महाराज ने कहा:

 "यह सम्मान केवल व्यक्तियों का नहीं, मूल्यों, मर्यादाओं और मातृभूमि की संस्कृति का है, जो पीढ़ियों को जोड़ता है।"

डॉ. पी. एन. पांडेय ने भावुक स्वर में कहा कि"यह सम्मान मेरे लिए एक पत्रकार, एक पिता और एक साधक के रूप में आत्मिक संतोष का क्षण है। जब मेरा पुत्र धर्म-प्रवचन की दिशा में अग्रसर है, तो मुझे लगता है मेरी लेखनी का लक्ष्य पूर्ण हो रहा है।

उनके सुपुत्र, आचार्य आलोक कृष्ण शास्त्री ने कहा कि"मेरे लिए यह केवल सम्मान नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व है कि मैं श्रीमद्भागवत की दिव्य परंपरा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य और श्रद्धा से कर सकूं।"