गाज़ीपुर। जलालाबाद ग्राम सभा स्थित गौशाला की बदहाल स्थिति को लेकर आज जिला अधिकारी गाजीपुर को एक मांग पत्र सौंपा गया। यह ज्ञापन बौद्ध कल्याणकारी महिला उत्थान ट्रस्ट, यूनाइटेड मीडिया पत्रकार एसोसिएशन और यूनिटी फाउंडेशन की ओर से संयुक्त रूप से दिया गया। ज्ञापन में गौशाला की स्थिति को “अत्यंत दयनीय” बताया गया है, जिससे न केवल पशुओं का जीवन संकट में है, बल्कि आसपास के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन भी प्रभावित हो रहा है।
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बौद्ध कल्याणकारी महिला उत्थान ट्रस्ट के संस्थापक राजकुमार मौर्य ने बताया कि पिछले एक वर्ष से गौशाला की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इस विषय में यूनाइटेड मीडिया पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष उपेन्द्र यादव एवं यूनिटी फाउंडेशन के हिमांशु मौर्य द्वारा समय-समय पर प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

ज्ञापन में बताया गया है कि गौशाला में पशुओं के लिए न तो पर्याप्त भोजन की व्यवस्था है और न ही चिकित्सा सुविधा। मृत पशुओं का समय पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है, जिससे आसपास की आबादी को दुर्गंध और संक्रमण का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति मानवता को शर्मसार कर रही है।

विशेष चिंता का विषय यह है कि गौशाला से महज 150 मीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष दुर्गंध के कारण कम से कम 9 बच्चे बीमार पड़ चुके हैं। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर इस समस्या का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इसके अलावा, गौशाला के पूर्व दिशा में स्थित क्रिकेट ग्राउंड में अभ्यास कर रहे युवाओं को भी गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मृत पशुओं की हड्डियाँ मैदान तक पहुँच रही हैं, जिससे युवाओं की मानसिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है। यह समस्या सिर्फ स्वच्छता की नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक चेतना की भी है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि क्षेत्रीय समाचार पत्रों में इस गंभीर समस्या पर कई बार रिपोर्ट प्रकाशित हो चुकी है। प्रत्यक्षदर्शियों और समाजसेवियों द्वारा की गई पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ है कि मृत पशुओं को उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है और उनके शवों को आवारा कुत्ते नोच रहे हैं।

इस गंभीर जनहित के मुद्दे को लेकर ज्ञापन में जिला अधिकारी से निम्नलिखित मांगे की गईं हैं:

गौशाला की वर्तमान व्यवस्था का निरीक्षण कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

पशुओं के लिए आवश्यक भोजन, चिकित्सा और देखभाल की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

मृत पशुओं के वैज्ञानिक और मानवीय निस्तारण की व्यवस्था की जाए।

दुर्गंध और संक्रमण से बचाव हेतु सैनिटेशन की विशेष व्यवस्था की जाए।

समाजसेवियों ने कहा कि यह केवल एक पशुपालन की समस्या नहीं है, बल्कि जनस्वास्थ्य, शिक्षा और युवाओं के भविष्य से जुड़ा गंभीर मामला है। लगभग 10,000 की आबादी इस समस्या से प्रभावित हो रही है।

ज्ञापन में प्रशासन से मांग की गई है कि वे तत्काल संज्ञान लेते हुए उचित और ठोस कदम उठाएं ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। समाजसेवियों ने आशा जताई है कि जिला प्रशासन जनहित में संवेदनशीलता दिखाते हुए शीघ्र कार्रवाई करेगा।