गाजीपुर, जलालाबाद। जलालाबाद गांव स्थित गौशाला की दुर्दशा इन दिनों क्षेत्रीय लोगों के लिए अभिशाप बन गई है। मृत पशुओं के खुले में फेंके जाने के कारण उत्पन्न सड़न और दुर्गंध ने ग्रामवासियों का जीना दुर्भर कर दिया है। प्रशासनिक उदासीनता और ग्राम सचिव की लापरवाही ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
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समाजसेवी राजकुमार मौर्य ने इस अमानवीय स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दृश्य मानवता को शर्मसार करने वाला है। मृत पशुओं का सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा, जिससे उनके शव खुले में सड़ते रहते हैं और कुत्ते उन्हें नोचते हुए देखे जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एवं ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही अब तक नहीं हुई।
क्रिकेट कोच अरुण चौहान ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि गौशाला से उठती दुर्गंध बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है। "हमारे खिलाड़ी बच्चों को मैदान में खेलने में कठिनाई हो रही है, कई बच्चे बीमार पड़ चुके हैं। स्वास्थ्य और खेल, दोनों प्रभावित हो रहे हैं," उन्होंने बताया।
स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी, जखनिया, से टेलीफोनिक बातचीत के दौरान उन्होंने समस्या को गंभीर माना और ग्राम प्रधान की लापरवाही बताते हुए मामले में लीपापोती करने को इसका कारण बताया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ग्राम सचिव यशवंत सिंह यादव, जो इस गौशाला की निगरानी के जिम्मेदार हैं, फोन तक नहीं उठा रहे। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें बार-बार अवगत कराया गया, लेकिन उन्होंने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की। उनका यह रवैया अब लोगों के स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा बन गया है।
रिपोर्टर हिमांशु मौर्य, जिन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान स्वयं स्थिति का जायज़ा लिया, ने बताया कि वहाँ खड़ा होना तक मुश्किल हो रहा था। "दुर्गंध इतनी तीव्र थी कि लगा जैसे दम घुटने लगा हो। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं बीमार पड़ जाऊँगा," उन्होंने अपनी पीड़ा साझा की।ग्रामवासियों ने आरोप लगाया है कि गौशाला से जुड़े अधिकारी और सचिवों की मिलीभगत के कारण अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि पशुओं की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनके शवों को खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे दुर्गंध पूरे गांव में फैल रही है। अब तो लोग खाना भी ठीक से नहीं खा पा रहे हैं।
समाजसेवी राजकुमार मौर्य ने नवागत जिलाधिकारी से मांग किया है कि मृत पशुओं के सम्मानजनक अंतिम संस्कार की व्यवस्था तत्काल की जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही हो। ग्रामीणों की मांग है कि गौशाला की दशा सुधारी जाए और एक स्थायी समाधान खोजा जाए, ताकि उन्हें इस दुर्गंध और संकट से राहत मिल सके।
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक विफलता की तस्वीर पेश करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि योगी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में से एक गौशाला योजना को किस तरह अधिकारी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ा रहे हैं और योगी सरकार की किरकिरी करा रहे हैं। और किस तरह एक बुनियादी मानवीय संवेदना, पशुओं के सम्मान और ग्रामीणों के स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है।