ग्राम सभा पचोखर में बैठक, न्याय और सुरक्षा की मांग

गाजीपुर: समाज के प्रति प्रतिबद्धता और अन्याय के विरुद्ध एकजुटता का परिचय देते हुए यादव महासभा ने गाजीपुर के दिलदारनगर क्षेत्र में एक फौजी परिवार पर हुए हमले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस संदर्भ में यादव महासभा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण बैठक ग्राम पचोखर में आयोजित की गई, जिसमें समाज के दर्जनों गणमान्य लोगों ने भाग लिया और पीड़ित परिवार के साथ न्याय की मांग की।

घटना के अनुसार, पचोखर गाँव में बच्चों के बीच हुए मामूली विवाद ने एक गंभीर रूप ले लिया, जब गाँव के ही कुछ दबंगों ने सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर भारतीय सेना के जवान रामबली यादव के परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में रामबली यादव, उनके पुत्रों सहित दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस समय और भी चिंताजनक बन जाती है जब देखा जाता है कि एक ओर बॉर्डर पर सैनिक देश की रक्षा में दिन-रात तैनात हैं, वहीं दूसरी ओर उनके परिवारों को अपने ही गाँव में सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

यादव महासभा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उन्हें हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा, "हम अपने समाज पर हो रहे अत्याचारों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। जब देश का सैनिक सरहद पर अपने जीवन को दांव पर लगाकर देश की सेवा कर रहा है, तो उसके परिवार की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।"

सुजीत यादव ने जिला प्रशासन से तत्काल निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग रखी कि पीड़ित परिवार को उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि प्रशासन द्वारा जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो समाज को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।

इस मौके पर उपस्थित समाज के अन्य सदस्यों ने भी एक सुर में घटना की निंदा की और कहा कि यह सिर्फ एक परिवार पर हमला नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण समाज की अस्मिता पर चोट है। उन्होंने भी प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की और पीड़ित परिवार के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।

बैठक में शामिल सदस्यों में जिला महासचिव रवि यादव, युवा नेता मनीष यादव, शिक्षाविद् अजीत यादव सहित कई स्थानीय समाजसेवी और ग्रामीण मौजूद थे। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि न्याय की लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ी जाएगी, लेकिन यदि प्रशासन ने आंख मूंद ली, तो समाज अपने अधिकारों के लिए संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश के रक्षकों के परिजनों की सुरक्षा क्या हमारी प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? जब अपने ही गाँव में एक सैनिक के परिवार को मारपीट और हिंसा का शिकार होना पड़े, तो यह समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यादव महासभा ने न सिर्फ इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है, बल्कि समाज को संगठित और सजग रहने का संदेश भी दिया है।

इस बैठक ने यह साबित कर दिया कि जब बात अन्याय और अत्याचार की हो, तो यादव समाज एकजुट होकर हर मोर्चे पर खड़ा होने को तैयार है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।