गाजीपुर। गाजीपुर जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शेखपुर ग्राम सभा में 26 मई 2025 सोमवार की दोपहर एक विशेष सामाजिक पहल का साक्षी बना। दोपहर लगभग 1:00 बजे बौद्ध कल्याणकारी महिला उत्थान ट्रस्ट के संस्थापक राजकुमार मौर्य, यूनाइटेड मीडिया पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष उपेन्द्र यादव और यूनाइटेड मीडिया के महासचिव विश्व बंधु कमांडर की एक संयुक्त समाजसेवी टीम ग्राम सभा शेखपुर पहुंची।
टीम का उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र में चल रही समस्याओं को जमीनी स्तर पर समझना और यथासंभव समाधान की दिशा में कदम उठाना। टीम सबसे पहले बहादुर सिंह कुशवाहा के घर पहुंची। उनके दरवाजे पर आम के पेड़ के नीचे चारपाई पर कुछ ग्रामीण पहले से मौजूद थे, जिनमें एक बुजुर्ग दादा जी और एक मास्टर साहब शामिल थे। बैठकी एवं जलपान के पश्चात सामाजिक न्याय और गांव की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा आरंभ हुई।
मास्टर साहब ने एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करते हुए कहा, “भाई साहब, यह देखिए वर्षों से यह बिजली का तार हमारे खेतों के बीच से गुजर रहा है। इससे हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है, खासकर गर्मियों में जब विद्युत प्रवाह तेज रहता है।” ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार बिजली विभाग को आवेदन दे चुके हैं कि यह तार रोड किनारे शिफ्ट किया जाए, परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इसपर समाजसेवी राजकुमार मौर्य ने कहा, “आप लोग एक आवेदन तैयार कीजिए जिसमें उन लोगों के हस्ताक्षर हों जिनकी जमीन से तार गुजरता है। हम एक निर्धारित दिन पर जिला मुख्यालय जाकर इस विषय में संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन देंगे और समाधान करवाने की कोशिश करेंगे।”
चर्चा के दौरान मास्टर साहब ने यह भी बताया कि ग्राम सभा में एक बच्चा है जो जन्म से दोनों पैरों से दिव्यांग है। यदि समाजसेवी टीम प्रयास करे तो उसे कुछ सहायता मिल सकती है। इस पर यूनाइटेड मीडिया के उपेंद्र यादव ने कहा, “हम लोग हरसंभव कोशिश करेंगे कि उसे सहायता दिलाई जाए।”
इसके बाद टीम ने शेखपुर के अगले राजस्व गांव राजभर बस्ती की ओर प्रस्थान किया, जहाँ राजभर बस्ती की स्थिति जानने का प्रयास किया गया। रास्ते में लोगों से जानकारी प्राप्त करते हुए टीम पूर्व प्रधान के घर पहुंची। उन्होंने गेस्ट रूम ‘वाटिका’ में सभी को बैठाकर गुड़-पानी से स्वागत किया। वार्ता के क्रम में उन्होंने बताया कि “गांव की कई समस्याएं हैं, परंतु सबसे गंभीर समस्या वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन की है। सरकार से मिलने वाली योजनाएं कई पात्र व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।”
पूर्व प्रधान ने टीम को कई वृद्ध और विधवा महिलाओं से मिलवाया, जिन्होंने बताया कि अगर उन्हें पेंशन की सुविधा मिल जाती तो उनका जीवन कुछ हद तक सरल हो जाता। इसपर समाजसेवी टीम ने स्पष्ट किया, “हम समाज सेवा के उद्देश्य से आपकी समस्याओं को संबंधित विभाग तक पहुंचाएंगे और प्रयास करेंगे कि समाधान हो।”
टीम ने यह भी बताया कि अगले सोमवार को पंचायत भवन में एक छोटी चौपाल आयोजित की जाएगी, जिसमें पंचायत सचिव और अन्य अधिकारियों को आमंत्रित कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी जाएंगी और समाधान की दिशा में कार्रवाई की जाएगी। इस बीच विश्व बंधु कमांडर ने कुछ पात्र महिलाओं और पुरुषों का नाम, जन्मतिथि एवं मोबाइल नंबर अपनी डायरी में दर्ज किया ताकि भविष्य में संपर्क बनाए रखा जा सके।
इसके पश्चात टीम ने गाज़ीपुर लौटने से पहले एक विशेष पड़ाव लिया, शेखपुर डिहवा गांव में सचिन नामक दिव्यांग बालक के घर का दौरा किया। सचिन एक ऐसा बच्चा है जो जन्म से दोनों पैरों से दिव्यांग है। जब टीम उसके घर पहुंची तो वहां कोई नहीं था, लेकिन पास में ही मुन्ना कुशवाहा के घर पर रुककर सचिन को बुलवाया गया। मुन्ना कुशवाहा राजकुमार मौर्य के पूर्व परिचित थे और उन्होंने टीम का आदरपूर्वक स्वागत किया।
थोड़ी ही देर में सचिन को बुलाया गया और टीम उसके घर वापस गई। वहां सचिन की माताजी उपस्थित थीं और उन्होंने टीम से अपने बेटे की स्थिति साझा की। टीम ने सचिन के साथ चारपाई पर बैठकर एक छोटी वीडियो क्लिप रिकॉर्ड की और आवश्यक दस्तावेजों की फोटो कॉपी भी एकत्र की।
बच्चे के साथ थोड़ी देर समय बिताकर, उसके मन में आशा की किरण जगाई गई। विश्व बंधु कमांडर ने कहा, “हम पूरी कोशिश करेंगे कि सचिन को सरकारी योजना से मदद मिले और उसका भविष्य बेहतर हो सके।”इस पूरी यात्रा में टीम ने न केवल ग्रामवासियों की समस्याएं सुनीं, बल्कि उनके समाधान की दिशा में स्पष्ट रणनीति भी प्रस्तुत की। यह केवल एक सामाजिक दौरा नहीं था, बल्कि एक भरोसे का वादा था। समस्याएं सिर्फ सुनी नहीं जाएंगी, उन पर कार्य भी किया जाएगा।
यात्रा का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि अगले सोमवार को पंचायत चौपाल में फिर से मुलाकात होगी और इस सामाजिक न्याय के सफर को आगे बढ़ाया जाएगा।
अंत में... निष्कर्ष निकलता है कि शेखपुर जैसे छोटे से गांव में समाजसेवियों की यह यात्रा एक बड़ी उम्मीद का संकेत है। जहां सरकारी मशीनरी की पहुंच सीमित हो, वहां ऐसे लोग बदलाव की नींव रखते हैं। समाज की मुख्यधारा से कटे हुए लोगों की आवाज बनना और उन्हें उनके अधिकार दिलाने की कोशिश करना ही असली समाज सेवा है।