गाजीपुर: जनपद के 65 स्वास्थ्य उपकेंद्रों और न्यू पीएचसी पर रविवार को आयोजित मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा नहीं उतर सका। हालांकि इस मेले में 2200 से अधिक मरीजों ने उपचार प्राप्त किया और उन्हें मुफ्त दवाएं दी गईं, लेकिन कई गंभीर खामियां भी सामने आईं, जिससे साफ है कि यह आयोजन मात्र आंकड़ों की खानापूर्ति बनकर रह गया।

मेले में पहुंचे अधिकांश मरीज वायरल बुखार, टायफाइड, सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों से पीड़ित थे। इन्हें तो प्राथमिक उपचार मिल गया, लेकिन जिन मरीजों को विशेष इलाज की आवश्यकता थी, उन्हें डॉक्टरों ने "विशेषज्ञ की अनुपस्थिति" का हवाला देकर हायर सेंटर रेफर कर दिया। यह दर्शाता है कि शासन की मंशा के बावजूद जमीनी स्तर पर तैयारियों में भारी कमी रही।

नंदगंज स्थित नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित मेले में केवल 55 मरीजों की जांच की गई, जो बताता है कि या तो प्रचार-प्रसार की कमी थी या फिर स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य मेले की उपयोगिता पर भरोसा नहीं रहा। मेडिकल ऑफिसर डॉ. शालिनी भाष्कर द्वारा परामर्श और दवाओं का वितरण सराहनीय है, परन्तु एक अकेले डॉक्टर से कितनी व्यापक सेवा की अपेक्षा की जा सकती है?

एसीएमओ डॉ. मनोज कुमार ने दावा किया कि मरीजों को बेहतर उपचार दिया गया, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपस्थिति ने इस दावे की सच्चाई पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। ऐसे आयोजनों का उद्देश्य तभी पूरा होता है जब मरीजों को समुचित जांच, परामर्श और इलाज एक ही स्थान पर मिले।

इस तरह के आयोजनों को सिर्फ सरकारी रिपोर्टों की शोभा बनाने की बजाय, जमीनी सच्चाई को ध्यान में रखते हुए संसाधनों और विशेषज्ञों की पर्याप्त व्यवस्था के साथ किया जाना चाहिए। अन्यथा यह मेला भी बाकी सरकारी योजनाओं की तरह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा।