उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के गंगा पार क्षेत्र में स्थित मोहम्मदाबाद में समाज सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। इस्लाह-ए-मोआशरा के अंतर्गत समाज में फैली सामाजिक बुराइयों, जैसे विवाह से जुड़ी गलत रस्मों और परंपराओं को समाप्त करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया।
पूर्व अध्यक्ष हांजी अब्दुल कलाम और मौलवी अबरार ने कई ग्राम सभाओं में बैठकों का आयोजन किया, जिनमें मुर्की खुर्द, मुर्की बुजुर्ग, मच्छटी, रानीपुर और फखनपुरा जैसी जगहें शामिल थीं। इस अवसर पर लोगों से अपील की गई कि वे समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने और समाज को सुधारने के लिए मिलकर प्रयास करें। साथ ही, एक नई कमेटी का गठन भी किया गया, जिसमें समाज के प्रमुख लोगों को शामिल किया गया।
31 जनवरी को नमाज जुमा के बाद ग्राम सभा मुर्की खुर्द में एक खुली बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में हाजी मौयनुद्दीन खान, अध्यक्ष समीउल्लाह खान, उपाध्यक्ष नूरूल हक खान, सचिव खान अहमद जावेद, सह सचिव इलियास खान और जॉइंट ट्रेजर अब्दुल मन्नान खान जैसे महत्वपूर्ण लोग चुने गए। वहीं, ग्राम सभा मुर्की बुजुर्ग में भी एक खुली बैठक में अयूब खान को अध्यक्ष, नजीर अहमद खान को उपाध्यक्ष, तसोबर खान को सचिव और अफरोज खान को सह सचिव चुना गया।
इस अवसर पर मौलवी अबरार खान ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में बुराइयों को समाप्त करने के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ा है, जिसे समय के साथ लोग समझ पाते हैं। उन्होंने बताया कि यह संघर्ष समाज के भले के लिए होता है, और इसका असर समाज पर सकारात्मक रूप से पड़ता है।
पूर्व अध्यक्ष अब्दुल कलाम ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में तब तक सुधार नहीं आ सकता जब तक शादी और सादगी को प्राथमिकता नहीं दी जाती। उनका कहना था कि इस्लाम में शादी को जितना सरल और सहज बनाया गया है, वह समाज में पनपने वाली बुराइयों को कम करने में मदद करता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि जहां लोग इस्लामिक दृष्टिकोण से शादी की प्रक्रिया को अपनाते हैं, वहां सामाजिक कुरीतियां कम देखने को मिलती हैं।
इस प्रकार की बैठकें और सामाजिक सुधार की पहल समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकती हैं और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य दे सकती हैं।