गाज़ीपुर। जिले में मनरेगा मजदूर संघ के श्रमिकों ने आज तड़के सुबह से जिला मुख्यालय के सरजू पांडे पार्क व उपजिलाधिकारी सदर के गेट के सड़क पर बैठकर चक्काजाम कर दिया। उनका यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था।
सात सूत्रीय मांगों का संज्ञान लिया जाए:
मनरेगा मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष हरेंद्र यादव ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार और प्रशासन गंभीरता से ध्यान नहीं देंगे, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। हरेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है और श्रमिकों को इस कड़ी ठंड में सड़क पर बैठकर अपनी बात रखनी पड़ रही है।
श्रमिकों की प्रमुख मांगें:
. स्वयं सहायता समूहों के कर्ज की माफी: श्रमिकों ने मांग की है कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा दिए गए कर्ज को माफ किया जाए। यह कदम श्रमिकों को भारी आर्थिक दबाव से मुक्ति दिला सकता है।
. मनरेगा मजदूरी 400 रुपये प्रति दिन की जाए: श्रमिकों का कहना है कि वर्तमान में मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी बेहद कम है। उन्होंने इसे बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन करने की मांग की है ताकि उनका जीवन स्तर सुधर सके।
. 200 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए: संघ की मांग है कि मनरेगा के तहत श्रमिकों को पूरे वर्ष में कम से कम 200 दिन का रोजगार मिलना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।
. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की प्रताड़ना पर रोक लगे: माइक्रोफाइनेंस कंपनियां श्रमिकों पर अत्यधिक दबाव डाल रही हैं, जिसके खिलाफ संघ ने सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है।
. श्रमिकों का पलायन रोका जाए: श्रमिकों का आरोप है कि रोजगार की कमी के कारण वे गांवों से शहरों और अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
. किसानों की आय दोगुनी करने के दावों को लागू किया जाए: सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को अब तक धरातल पर लागू नहीं किया गया है। श्रमिक संघ ने इसे लागू करने की मांग की है ताकि किसानों को भी राहत मिल सके।
. श्रमिक संघ से वार्ता कर समस्याओं का समाधान किया जाए: श्रमिक संघ ने कहा कि सरकार और प्रशासन को उनकी समस्याओं पर बातचीत करनी चाहिए और उनका समाधान निकालना चाहिए।
सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप:
हरेंद्र यादव ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार केवल मंदिर-मस्जिद की बातों में व्यस्त है और मजदूरों और किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि जबकि सरकार द्वारा दावा किया जाता है कि वह आम लोगों के हित में काम कर रही है, लेकिन मजदूरों की समस्याओं को नज़रअंदाज किया जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि यदि सरकार और प्रशासन उनकी बातों पर गंभीरता से नहीं सुनेंगे, तो वे सड़क पर बैठकर अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
प्रदर्शन का असर और प्रशासनिक प्रतिक्रिया:
इस चक्काजाम से जिला मुख्यालय के आसपास यातायात व्यवस्था प्रभावित हो गई। लोग विभिन्न जगहों से आने-जाने में असुविधा का सामना कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को प्राथमिकता देने की मांग की। हालांकि, प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की है, लेकिन श्रमिकों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे नहीं हटेंगे।
क्या भविष्य में मिलेगा समाधान?
इस समय गाज़ीपुर में हो रहे इस आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मनरेगा मजदूरों की समस्याएं गंभीर हैं और उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। श्रमिकों के इस आंदोलन से सरकार और प्रशासन को एक संदेश मिलना चाहिए कि यदि श्रमिकों की समस्याओं को समय रहते हल नहीं किया गया, तो इस तरह के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन और बड़े रूप में सामने आ सकते हैं।
गाज़ीपुर में जारी इस प्रदर्शन ने यह भी सिद्ध कर दिया कि जब तक श्रमिकों को उचित सम्मान और उनके हक नहीं मिलेंगे, तब तक ऐसे आंदोलन जारी रह सकते हैं। सरकार के लिए यह समय है कि वह श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए और उन्हें सड़क पर बैठने को मजबूर होने से बचाए।