गाजीपुर, यूपी। यूपी के विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, लेकिन अब एक और गंभीर मामला सामने आया है। गाजीपुर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत चल रहे जिला स्तरीय खेलकूद कार्यक्रम को लेकर अधिकारियों पर शिक्षक वर्ग से अवैध वसूली करने के आरोप लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस वसूली अभियान में एक करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अधिकारियों द्वारा शिक्षकों से खेलकूद के नाम पर पैसे वसूलने की बात सामने आई है।
वसूली की शिकायतें
गाजीपुर जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों से यह राशि ली जा रही है, जिसमें 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक का अंतर देखा जा रहा है। किसी ब्लॉक में यह राशि 500 रुपये है तो किसी में यह 1000 या 1500 रुपये तक पहुंच जाती है। इस वसूली का मुख्य उद्देश्य जिला स्तरीय खेलकूद आयोजन के लिए आए शासन के धन का "उगाही" करना बताया जा रहा है। शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप्स में भी इस वसूली के लिए बार-बार अपील की जा रही है।
गाजीपुर जिले में लगभग 10,000 शिक्षक हैं, और यदि हर शिक्षक से औसतन 1000 रुपये भी वसूले जाएं, तो कुल वसूली की राशि एक करोड़ रुपये के आसपास पहुंच सकती है। इन पैसों का कुछ हिस्सा अफसरों के बीच बंट जाता है और बाकी रकम "वसूलीकर्ताओं" के पास जाती है।
शिक्षकों की मजबूरी
सूत्रों के मुताबिक, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दबाव इतना अधिक है कि शिक्षक विरोध नहीं कर पाते और वसूली की रकम देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस चक्रव्यूह में कुछ शिक्षक नेता भी शामिल हैं, जो अधिकारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। ऐसे शिक्षक नेताओं के बारे में कहा जा रहा है कि वे अधिकारियों के निजी कामों में भी हाथ बटाते हैं, जैसे कि उनके घर का काम करना या व्यक्तिगत सेवाएं देना।
सतर्क शिक्षक नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है
वहीं, जो शिक्षक नेता अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं और शिक्षकों के हक के लिए लड़ते हैं, उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है। पिछले एक साल में आधा दर्जन शिक्षक नेताओं को सस्पेंड किया गया है, जिनमें से अधिकांश वही थे जो भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। ऐसे शिक्षक नेताओं को अधिकारी "सिस्टम की शह" देने वालों को तरजीह देते हैं, जबकि वे अपनी पीड़ा और समस्याओं के बारे में खुलेआम बोलने की हिम्मत रखते हैं।
मीडिया का दबाव और असर
गाजीपुर में भ्रष्टाचार को लेकर स्थानीय मीडिया में कुछ खबरें भी प्रकाशित हुईं, लेकिन इन खबरों का कोई असर नहीं पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी स्थानीय मीडिया और चैनल के प्रमुखों को अपने पक्ष में कर चुके हैं, जिसके कारण इन खबरों का प्रभाव सीमित ही रहता है। छोटे पोर्टल्स और अखबारों की रिपोर्ट्स को भी बहुत कम महत्व दिया जाता है, जिसके कारण वसूली का यह अभियान निर्बाध जारी है।
वर्जन
बीएसए गाजीपुर, हेमंत राव ने इस मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि सूचना मिलने पर जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बार सही कदम उठाते हैं या फिर यह मामला भी पुराने मामलों की तरह दबकर रह जाएगा।